अब हर कॉल पर दिखेगा असली नाम! TRAI की नई CNAP सेवा शुरू 🇮🇳

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भारत में कॉलर-नेम सेवा (CNAP): अब कॉल उठाने से पहले “कौन” दिखेगा

भारत में अब इनकमिंग कॉल के साथ कॉलर का सत्यापित नाम भी दिखेगा - इसे कहा जाता है Calling Name Presentation (CNAP)। TRAI और DoT के निर्णयों के बाद देश में इस सेवा का चरणबद्ध रोलआउट शुरू हो रहा है।


CNAP है क्या?

CNAP वह नेटवर्क-स्तरीय सुविधा है जिसमें कॉल आते ही रिसीवर के फोन पर कॉल करने वाले का नाम दिखाई देगा - यह नाम ऑपरेटर के KYC रिकॉर्ड से लिया जाता है, न कि किसी थर्ड-पार्टी ऐप से।


क्या तय हुआ है (सरल भाषा में)

• TRAI और DoT ने CNAP के कार्यान्वयन पर सहमति दी है और पायलट ट्रायल चल रहे हैं।
• DoT/अधिकारियों के अनुसार देशव्यापी रोलआउट का लक्ष्य रखकर चरणबद्ध तरीका अपनाया जा रहा है।
• यह सेवा डिफ़ॉल्ट रूप से ऑन रहेगी, यदि उपयोगकर्ता चाहें तो ऑपरेटर के माध्यम से इसे बंद (opt-out) कर सकेंगे।


यह कैसे काम करेगा?

1. हर टेलीकॉम ऑपरेटर अपने ग्राहकों के नंबर ↔ नाम का सुरक्षित डेटाबेस रखेगा।
2. जब कोई कॉल आता है तो रिसीविंग नेटवर्क ओरिजिनेटिंग नेटवर्क से कॉलर-नाम (CNAM) पूछेगा और वह नाम आपकी स्क्रीन पर दिखेगा।
3. शुरुआत में यह सुविधा मुख्यतः 4G/5G उपकरणों और संगत नेटवर्क पर उपलब्ध होगी; पुराने 2G डिवाइसों में बाद में सपोर्ट आएगा।


कब और किसे मिलेगा?

• पायलट चरण कुछ सर्किलों में पहले शुरू किए गए हैं और फिर चरणबद्ध तरीके से विस्तार होगा।
• पहले लाभ 4G/5G उपयोगकर्ताओं को मिलेगा; समय के साथ सभी नेटवर्क पर उपलब्ध कराना लक्ष्य है।


यूज़र के लिए फायदे

• स्पैम और फ़्रॉड कॉल्स की पहचान आसान होगी।
• थर्ड-पार्टी कॉलर-आईडी ऐप्स पर निर्भरता घटेगी क्योंकि नाम नेटवर्क-लेवल पर आएगा।
• आप चाहें तो इस सेवा को बंद करवा सकेंगे (opt-out)।


मुख्य चुनौतियाँ

• यदि नंबर किसी व्यवसाय या परिवार के नाम पर रजिस्टर्ड है पर फोन किसी और का उपयोग कर रहा हो तो किस नाम को दिखाया जाए - इसी तरह के व्यवहारिक मामलों पर नियम स्पष्ट होने चाहिए।
• ऑपरेटरों को अपने KYC रिकॉर्ड्स अपडेट और सटीक रखने होंगे - नहीं तो गलत नाम दिखाई जा सकता है।
• शुरुआती चरणों में डिवाइस-और-नेटवर्क संगतता-समस्या आ सकती है।


Truecaller और अन्य ऐप्स पर असर

CNAP के आने से कॉलर-नेम नेटवर्क-लेवल पर दिखाई देगा, इसलिए कुछ उपयोग में कमी आ सकती है - पर Truecaller जैसे ऐप्स आज भी एडवांस्ड स्पैम-फिल्टरिंग, सामुदायिक ब्लॉक्स और अतिरिक्त सुविधाएँ दे सकते हैं।


यूज़र को क्या करना चाहिए?

1. अपने ऑपरेटर के रिकॉर्ड में KYC-नाम सही और अपडेट रखें - यही नाम सामने दिखेगा।
2. अपने सर्किल/ऑपरेटर में रोलआउट होने पर नोटिस देखें; यदि आप नहीं चाहते तो opt-out कर लें।
3. CNAP से मदद मिलेगी पर फिर भी किसी अनजान कॉल पर OTP/निजी जानकारी साझा न करें - सतर्क रहें।


संक्षेप में टाइमलाइन

• पायलट: कुछ सर्किलों में पहले चरण के परीक्षण।
• उद्देश्य: चरणबद्ध रूप से 31 मार्च 2026 तक पैन-इंडिया रोलआउट की तैयारी।
• शुरुआत: 4G/5G डिवाइसों पर; 2G में बाद में सपोर्ट।


निष्कर्ष

CNAP आने से कॉल-अनुभव अधिक भरोसेमंद बनेगा और स्पैम/फ़्रॉड कॉल्स की पहचाना आसान होगी। यह उपयोगी कदम है, पर सफल कार्यान्वयन के लिए ऑपरेटरों के रिकॉर्ड की शुद्धता, डिवाइस-कम्पैटिबिलिटी और व्यवहारिक नियमों पर स्पष्ट गाइडलाइन्स जरूरी हैं।


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